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अगर यही जीना हैं तो फिर मरना क्या हैं!!!!!!!!


शहर की इस दौड में दौड के करना क्या है?

अगर यही जीना हैं दोस्तों... तो फिर मरना क्या हैं?

पहली बारिश में ट्रेन लेट होने की फ़िकर हैं......

भूल गये भींगते हुए टहलना क्या हैं.......

सीरियल के सारे किरदारो के हाल हैं मालुम......

पर माँ का हाल पूछ्ने की फ़ुरसत कहाँ हैं!!!!!!

अब रेत पर नंगे पैर टहलते क्यों नहीं........

१०८ चैनल हैं पर दिल बहलते क्यों नहीं!!!!!!!

इंटरनेट पे सारी दुनिया से तो टच में हैं.......

लेकिन पडोस में कौन रहता हैं जानते तक नहीं!!!!

मोबाईल, लैंडलाईन सब की भरमार हैं.........

लेकिन ज़िगरी दोस्त तक पहुंचे ऐसे तार कहाँ हैं!!!!

कब डूबते हुए सूरज को देखा था याद हैं??????

कब जाना था वो शाम का गुजरना क्या हैं!!!!!!!

तो दोस्तो इस शहर की दौड में दौड के करना क्या हैं??????

अगर यही जीना हैं तो फिर मरना क्या हैं!!!!!!!!
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