News Update :
Home » , , » चिम्पंजी की आखरी नसल कहीं खो गई

चिम्पंजी की आखरी नसल कहीं खो गई

देखा तुझे तो रूह खुश हो गई,
एक कमी थी वो भी पुरी हो गई.
पागल हैं वो लोग जो कहते हैं की,
चिम्पंजी की आखरी नसल कहीं खो गई..


तारीफ के काबील हम कहाँ
चर्चा तो आपकी चलती है
सब कुछ तो है आपके पास
बस सींग और पुँछ की कमी खलती है


इतना खुबसूरत कैसे मुस्कुरा लेते हो
इतना कातिल कैसे शर्मा लेते हो
एक बात बताओ दोस्त बचपन से ही कमीने हो
या सूरत ही ऐसी बना लेते हो


तुमसा कोई दूसरा जमीन पर हुआ
तो रब से सिकायत होगी....
एक तो झेला नही जाता
दूसरा आ गया तो क्या हालत होगी....


खुदा करे तुम जिन्दगी में बहुत आगे बडो!!!
इतने आगे बडो की जिससे मिलो वो कहे
-ऐ बाबा चलो चलो आगे बडो..


मैं तुम्हारे लिए सब कुछ करता......
मगर मुझे काम था......
मैं तुम्हारे लिए डूब के मरता......
मगर मुझे जुखाम था......
Share this article :

+ comments + 2 comments

October 22, 2008 at 3:54 PM

भइया, राज ठाकरे पर इतना मेहरबान हो रहे हो पर अपना ख्याल रखना। कुछ बीमा-वीमा भी बढा लेना।

October 28, 2008 at 5:40 PM

आपकी सुख समृद्धि और उन्नति में निरंतर वृद्धि होती रहे !
दीप पर्व की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं !

Post a Comment

All This Is Created By Administrator of the Blog.

 
Company Info | Contact Us | Privacy policy | Term of use | Widget | Advertise with Us | Site map
Copyright © 2011. लतीफे . All Rights Reserved.